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The Hanuman chalisa Diaries

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जनम जनम के दुख बिसरावै ॥३३॥ अन्त काल रघुबर पुर जाई । तुम्हरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै॥ बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। मंगल भवन अमंगलहारी द्रवहु सो दशरथ अजिर विहारी। मनोजवं मारुततुल्यवेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्। 1 Mala Jaap equals 108 recitations of a mantra. You https://www.instagram.com/reel/DFWTy0gvMKk/
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